ज़िंदगी जब
गोश्त बन पतीले में आ जाता है
कुत्ते कम
मानव -सा नरपशु ही ज्यादा इसके इर्द गिर्द मडराता है
कुत्ते भूख मिटाते हैं
मानव आपके रूह तक को खा जाना चाहते हैं
लड़ें गिरें
झुकें तनें
रोयें , हॅंसें , गुनगुनाएँ
मिट जाएँ तो गम नहीं
उसूलों में जिन्दा रह जाएँ
ज़िंदगी को
कभी गोश्त न बनने दें
कुत्ते से ही नहीं
मानव विषदंत से भी इसे दूर रखें
( संपादन तिथि - २ जुलाई २०१९ )
~~~रामानुज दुबे
badhiya
ReplyDeleteHere ‘Manav’ is metaphorically used for those people who are goody goody in appearance but they are more dangerous, ferocious, and vicious than any notorious & wild animal .
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