प्रभु तुम मुझे देना वरदान
मै सदा बना रहूँ प्रांजल
मेरी प्रज्ञा चक्षु खुली रहे
मेरे मन का प्रांगण पवित्र रहे
प्रहलाद सा रहूँ सदा प्रियंवद
मेरा ज्ञान प्रस्तार अनंत तक हो
प्रसूति सा ध्यान रहूँ अपना
करता रहूँ मै परोपकार
प्रवाद न आये कभी मेरे पास
प्रशस्त रहूँ प्रशांत रहूँ
प्रबीर रहूँ प्रसन्न रहूँ
प्रबल बनूँ प्रबुद्ध रहूँ
अपशब्द कभी न किसी को कहूँ
दौर्जन्य से लड़ता रहूँ लगातार
दोर्बल्य न फटके मेरे आसपास
हर पल मै ध्यान धरूँ तेरा
मेरा शर हो तेरे चरणों के पास
पभु तुम मुझे देना वरदान
रामानुज दुबे
prashuti sa dhyan rakhu ya rahun ????/
ReplyDeletewaah
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