जिंदगी
झूठे सपने की तलाश नहीं
पंखे से लटकती हुई लाश नहीं
अनकही अनसुनी दिल की आवाज नहीं
अंतहीन भयावह भुतही रात नहीं
जिंदगी
स्वर्ग और नरक के बीच का गीत नहीं
जन्म और मरण के मध्य का संगीत नहीं
प्रज्ञा और प्रमाद के बीच का द्वन्द नहीं
देव और दानव के खेल का अंत नहीं
जिंदगी
सुनहरी साड़ी में लिपटी हुई प्यारी सी सुबह नहीं
दिन ढल जाने का मातम मनाता श्यामला शाम नहीं
अपने आपको हर क्षण खो देने का भय नहीं
सृष्टि और श्रेष्ठि के अस्तित्व को मानने का
संशय नहीं
जिंदगी
सतत सोचते रहने वाला भारी भरकम सवाल नहीं
मज़े और मौज से भरा बस ख्याल नहीं
जीने का सही नाम जिंदगी है
सही राग ना मिले तो बेसुरा राग ही सही .
~~~ रामानुज दुबे
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