14 May, 2010
16 April, 2010
वरदान
प्रभु तुम मुझे देना वरदान
मै सदा बना रहूँ प्रांजल
मेरी प्रज्ञा चक्षु खुली रहे
मेरे मन का प्रांगण पवित्र रहे
प्रहलाद सा रहूँ सदा प्रियंवद
मेरा ज्ञान प्रस्तार अनंत तक हो
प्रसूति सा ध्यान रहूँ अपना
करता रहूँ मै परोपकार
प्रवाद न आये कभी मेरे पास
प्रशस्त रहूँ प्रशांत रहूँ
प्रबीर रहूँ प्रसन्न रहूँ
प्रबल बनूँ प्रबुद्ध रहूँ
अपशब्द कभी न किसी को कहूँ
दौर्जन्य से लड़ता रहूँ लगातार
दोर्बल्य न फटके मेरे आसपास
हर पल मै ध्यान धरूँ तेरा
मेरा शर हो तेरे चरणों के पास
पभु तुम मुझे देना वरदान
रामानुज दुबे
मै सदा बना रहूँ प्रांजल
मेरी प्रज्ञा चक्षु खुली रहे
मेरे मन का प्रांगण पवित्र रहे
प्रहलाद सा रहूँ सदा प्रियंवद
मेरा ज्ञान प्रस्तार अनंत तक हो
प्रसूति सा ध्यान रहूँ अपना
करता रहूँ मै परोपकार
प्रवाद न आये कभी मेरे पास
प्रशस्त रहूँ प्रशांत रहूँ
प्रबीर रहूँ प्रसन्न रहूँ
प्रबल बनूँ प्रबुद्ध रहूँ
अपशब्द कभी न किसी को कहूँ
दौर्जन्य से लड़ता रहूँ लगातार
दोर्बल्य न फटके मेरे आसपास
हर पल मै ध्यान धरूँ तेरा
मेरा शर हो तेरे चरणों के पास
पभु तुम मुझे देना वरदान
रामानुज दुबे
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