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06 December, 2010

नीत

जिन्दगी
तुम मुझसे ज्यादा दवंगई ना दिखा
मौत
अभी भी मेरा है मीत
अमृत
पाने को कभी भी मन ना तरसे
विष
सदा रहा मेरा प्रीत
भूला
हर बार अपने ही आँगन मे
सीखा ना
गलतियों से कोई सीख
कहने को
तो बहुतेरे है अपने
देख ली
अपनों की भी नीत


रामानुज दुबे